गुणीराम-बुद्धिराम का रेल टिकट

एक बार दो दोस्त ट्रेन में सफर कर रहे थे। एक का नाम गुणीराम था तो दूसरे का बुद्धिराम। लोग उन्हें प्यार से गुणी  और बुद्धि भी पुकारते थे। गुणीराम ने ट्रेन में सफर करते समय टिकट जूतों में रख लिए थे, ताकि टिकट खो न जाएं। 
सफर के दौरान बुद्धिराम शौचालय चला गया और तभी टिकट चेकर भी आ गया।
टिकट चेकर (गुणीराम से) -  टिकट प्लीज।
गुणीराम - जूते उतारूं? टिकट चेकर - अरे टिकट दिखाओ  टिकट। 
गुणीराम - अरे जूते उतारूं क्या?
टिकट चेकर (गुस्से में) - तुम्हारा  दिमाग खराब है क्या? बुद्धि कहां गई  तुम्हारी?
गुणीराम - शौचालय में |

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