राहुल गाँधी निर्मल बाबा से बोले -- "बाबा हमारा तो सूपड़ा ही साफ़ हो गया, अब कुछ ऐसा उपाय करो कि मैं देश का प्रधानमंत्री बन जाऊ।"
निर्मल बाबा -- "कभी ट्रैन में चाय बेचीं है?"
राहुल गाँधी -- "नहीं बेचीं...."
बाबा -- "शुरू करो, कृपा वहीँ अटकी हुई है।
निर्मल बाबा -- "कभी ट्रैन में चाय बेचीं है?"
राहुल गाँधी -- "नहीं बेचीं...."
बाबा -- "शुरू करो, कृपा वहीँ अटकी हुई है।
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